Cost to Company यानी CTC आपको जॉब के ऑफर लेटर के साथ दी जाती है. यह रकम बताती है कि एक एम्पलॉय को हायर करने में कंपनी कितना कॉस्ट यानी लागत आ रही है.
कंपनियां कर्मचारियों की भर्ती कॉस्ट टू कंपनी यानी CTC के आधार पर करती हैं लेकिन इन हैंड सैलरी हमेशा सीटीसी से कम रहती है.
कई लोग एक कंपनी में एक ही पोस्ट पर काम कर रहे होते हैं. सैलरी पैकेज भी एक समान होता है. मगर, इनहैंड सैलरी में अंतर होता है. जिस वजह से कुछ लोग टैक्स
Salary Slip: आपकी सैलरी स्लिप आपकी आय, कर, कर-कटौती, PF इत्यादि का महत्वपूर्ण प्रूफ है. इस छोटी सी स्लिप को अच्छी तरह से समझना आपके लिए बेहद जरूरी है.